Friday, April 20, 2012

मैं अपना यार



मैं बस अपना ही साथी हूँ
खुद ही में डूबा हुआ
दोस्त दिल और दारू मैं ही
जग मुझसे छूटा हुआ

बाँट चुका बहुत खुशियाँ
काट चुका कुछ अपनी दुनिया
अब तो आशिक भी मैं अपना, दलाल भी हूँ
माशुका भी मैं खुद की, रांड भी हूँ

किसी तो अड्डे पर पहुंचना चाहूँ
जाने किस नशे में डूबना
जिंदगी बोर मरती है आजकल
जाने कौन सा है रस चूसना

दोस्त दिल और दारू खुद ही
मैं अपना लंगोटिया यार भी हूँ
ढोलक ढफली तबला खुद ही
धडकन से बजती गिटार भी हूँ

पागलपन तो कबसे गुज़र गया मुझे छू के
खाई पे चलता राही
मौत सी मस्ती का यार भी हूँ

              -घुमंतू पंछी

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