मैं बस अपना ही साथी हूँ
खुद ही में डूबा हुआ
दोस्त दिल और दारू मैं ही
जग मुझसे छूटा हुआ
बाँट चुका बहुत खुशियाँ
काट चुका कुछ अपनी दुनिया
अब तो आशिक भी मैं अपना,
दलाल भी हूँ
माशुका भी मैं खुद की, रांड
भी हूँ
किसी तो अड्डे पर पहुंचना चाहूँ
जाने किस नशे में डूबना
जिंदगी बोर मरती है आजकल
जाने कौन सा है रस चूसना
दोस्त दिल और दारू खुद ही
मैं अपना लंगोटिया यार भी
हूँ
ढोलक ढफली तबला खुद ही
धडकन से बजती गिटार भी
हूँ
पागलपन तो कबसे गुज़र गया
मुझे छू के
खाई पे चलता राही
मौत सी मस्ती का यार भी
हूँ
-घुमंतू पंछी
truly awesome buddy...
ReplyDeleteThanks Brother! :)
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